हिंदी कहानियां - भाग 176
ऐक्टिंग में ही छुपा था प्यार
ऐक्टिंग में ही छुपा था प्यार जुलाई 2008 का समय था जब मैं और केशव पहली बार मिले थे। मैं कोचिंग की मॉर्निंग फर्स्ट बैच में थी और वो सेकंड बैच में। जब मेरा कोचिंग टाइम होता था तो उसका प्रजेंटिंग टाइम। बस कब हमारी हाय-हैलो से शुरू दोस्ती बेस्ट फ्रेंड्स में बदल गयी पता ही नहीं चला। इस दोस्ती को आगे बढ़ाया हमारे इंस्टीट्यूट् के पिकनिक टूर ने। टूर में मैं ज्यादातर समय उसका हाथ थामे साथ-साथ थी हमारी दोस्ती देखकर बैचमेट्स और सर को लग गया कि मेरा-केशव का चक्कर है। जब हमें यह भनक लगी कि सब हमें गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड समझते हैं तो हम लोग कपल होने की एक्टिंग कर लोगों को बेवकूफ बनाने लगे। जबकि हमारे बीच तब कुछ भी नहीं था। हम बहुत अच्छे दोस्त थे और ये बात मैंने वहां के सर को बता दी थी। कोचिंग में हमारा कोर्स भी खत्म हो गया और हम लोग अपने-अपने काम में बिजी हो गए। कई महीने में एक-दो बार मिलते थे। खूब सारी बातें होतीं और खूब हंसते भी थे। अब मैं और मेरा वो 'खास दोस्त' साथ हैं और हमने मान लिया है कि हम शायद एक-दूसरे के लिए ही बने हैं। आज जब भी कभी हम लोग ये सोचते हैं तो बहुत हंसी आती है। कोचिंग में जो लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए झूठी एक्टिंग करते थे वो सच हो गई। अब हमारी बॉन्डिंग लोगों को काफी पसंद आती है। आज भी पहली मुलाकात याद आती है तो होंठों पर मुस्कुराहट आ जाती है। उन दिनों को याद कर आज भी एक- दूसरे को छेड़ते हैं।